ध्यान करने के परिणामों को महसूस करने में कितना समय लगता है ? Meditation effects
सर्वप्रथम यह अंग्रेजी शब्द मैडिटेशन मुझे सार्थक नहीं लगता है क्यूंकि शब्द की व्यापकता ही नहीं रहती, चलो इस पर कभी और सही बहस |

आपका ध्यान आपके प्राणायाम पर निर्भर करता है तो जितना सिद्ध आप अपने प्राणायाम में होते जाएंगे उतनी ही शीघ्रता से आपके बन्ध और चक्र खुलते जाएंगे | प्रत्येक साधक को चाहिए की कम से कम सोलह प्राणायाम क्रियाएं करे जिसमें की पूरक, कुम्भक और रेचक सम्मिलित हैं | यह सर्वप्रथम आपकी शुषुम्ना को सक्रिय करेगा मतलब आपकी प्राणवायु आपके इंगला-पिंगला नाड़ी से होकर शुष्मना में प्रवेश का द्वार बनाएगी और यह शुषुम्ना आपके आज्ञाचक्र को सक्रिय कर देता है |
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बहुत अच्छा होगा की प्राणायाम के साथ जप भी चलता रहे क्यूंकि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं यानी की प्राणायाम एक शारीरिक क्रिया है और जप मानसिक | जब दोनों एकाकार होगा तो आपकी साधना एक संतुलन में रहेगी और आगे का मार्ग प्रशस्त बना रहेगा | दिन में चार बार यह जरुरी बताया गया है लेकिन आज के समय अगर आप सुबह-शाम २ घण्टे भी निकाल लेते हैं तो काफी रहेगा |
अब आते हैं ध्यान के परिणामों पर तो यह सबसे पहले आपकी नाड़ियों की शुद्धि होगी और अशुद्धियाँ छंटने लगेंगी, भय कम होने लगेगा, सत्य तत्व का आभास होने लगेगा, आपका शरीर सुगठित होना शुरू हो जायेगा, एक सुगंध का एहसास होने लगेगा, स्वाँस सधने लगेगी और धीमे-धीमे चलेगी जो की एक अच्छा लक्षण होगा, कोई भी शारीरिक दिक्कत या बीमारी आपको होगी तो आपको उसका कारन स्वयं ज्ञात होने लगेगा वैसे तो बीमार कम ही पड़ोगे, यह आपके प्राणायाम, ध्यान के आरंभिक लक्षण हैं और जैसे जैसे आपकी साधना अधिक परिपक्व होने लगेगी तब आपकी सर्वप्रथम वायु सिद्धि होगी | जब आप यहाँ तक पहुँच जाएं तो आगे के चरण स्वतः के जानने के लिए होते हैं केवल, यह रहस्य की तरह अपने तक रहने दो |
एक बात तो मैं यहाँ कहूंगा की जब मेरी आवाज परम-ब्रह्म तक नहीं पहुँच रही थी तो मैं समझ गया की कुछ गड़बड़ है दया ? आखिर मुझे कैसे पता चले की मेरा भोले मुझे सुन रहा है ? उस दिन से मेरी यात्रा शुरू हुई और एकमात्र उद्देश्य था अपनी प्रार्थना उन तक पहुँचाना बस और कुछ नहीं | मैंने उसको ध्यान किया और अब मैं उसमें घुलता – मिलता जा रहा हूँ लेकिन परिणाम कहीं भी, कभी भी नहीं सोंचा, वह अपने आप घटित होने लगा |
तो महाराज बस ध्यान करो परिणाम को सोंचना छोड़ दो | एक बात और की धूनी रमा कर बैठने से पहले या किसी सिद्धासन पर बैठने से पहले खुद को उसमें रमा दो, उठते-बैठते, खाते -पीते उसको ही सोंचो जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को इतनी सिद्दत से सोंचता है |
Meditation effects
शुक्रिया, धन्यवाद !
ॐ नमः शिवाय !